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Parshavi Chopra: पिता के कहने पर पहले प्यार को छोड़ क्रिकेटर बनीं पार्श्वी, अब विश्व कप में किया कमाल

अंडर-19 महिला विश्व कप में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें कप्तान शेफाली, उपकप्तान श्वेता सेहरवात के अलावा लेग स्पिनर पार्श्वी चोपड़ा का अहम योगदान है। पार्श्वी ने अपनी घूमती गेंदों से विपक्षी बल्लेबाजों को खासा परेशान किया है। 16 साल की पार्श्वी को अपनी गेंदबाजी में नियंत्रण लाने की आवश्यकता है, लेकिन जब उनकी गेंद सही टप्पे पर पड़ती है तो बल्लेबाज के पास उसका कोई जवाब नहीं होता। 

महिला विश्व कप के पांच मैच में नौ विकेट लेने वाली पार्श्वी टीम की सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं। दक्षिण अफ्रीका की पिचों में उन्होंने अपनी स्पिन का जलवा दिखाया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि एशियाई पिचों पर वह कितनी खतरनाक हो सकती हैं। 

पार्श्वी चोपड़ा के क्रिकेटर बनने की कहानी भी उनकी गेंदों की तरह काफी घुमावदार है। उनके पिता, दादा और चाचा भी क्रिकेटर रहे थे। ऐसे में क्रिकेट उनके खून में था, लेकिन स्कूल के दिनों में उनका मन स्केटिंग में ज्यादा लगता था। इसी खेल में उन्होंने उत्तर प्रदेश की अंडर-14 प्रतियोगिता में रजत पदक भी जीता, लेकिन पिता चाहते थे कि बेटी क्रिकेटर बने। ऐसे में पार्श्वी ने स्केटिंग छोड़ क्रिकेट में मन लगाया। 

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पिता के कहने पर पार्श्वी क्रिकेट एकेडमी के साथ जुड़ गईं और यह खेल सीखने लगीं। लेग स्पिन गेंदबाजी उन्हें भा गई और 13 साल की उम्र में उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए पहला मैच खेला। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पहले मैच में ही पार्श्वी फील्डिंग करते हुए चोटिल हो गईं। कोच ने उनसे कहा कि अगर वह ठीक नहीं हैं तो बाहर बैठ सकती हैं। पार्श्वी के होठों पर चोट लगी थी और सूजन आ गई थी, लेकिन समय बाद ही वह मैदान में थीं। उन्होंने असम के खिलाफ तीन विकेट लिए और अपनी छाप छोड़ी। मैच के बाद उन्होंने परिवार के लोगों को इस बारे में जानकारी दी। 

पार्श्वी की इसी लगन का नतीजा है कि वह भारत की अंडर-19 टीम के लिए कमाल कर रही हैं। आने वाले समय में वह देश की मुख्य टीम के लिए भी खेल सकती हैं और महिला आईपीएल में भी उन पर बड़ी बोली लग सकती है।

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