हाल ही के दिनों में विराट कोहली क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट की कप्तानी से भार मुक्त हो गए हैं। सबसे पहले पिछले वर्ष उन्होंने T20 कप्तानी से इस्तीफा दिया था। इसके बाद उन्हें एकदिवसीय की कप्तानी से हटा दिया गया। तो अफ्रीका दौरे पर भारत को मिली करारी हार के बाद उन्होंने टेस्ट की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।
आस्ट्रेलिया के अपने जमाने के दिग्गज बल्लेबाज इयान चैपल ने विराट कोहली को असाधारण कप्तान करार दिया जिन्होंने भारतीय टीम को उच्च स्तर पर पहुंचाया लेकिन उन्होंने इंग्लैंड के जो रूट को अच्छा बल्लेबाज लेकिन कमजोर कप्तान बताया।
दोनों की कप्तानी में अंतर का किया जिक्र।
ईएसपीएनक्रिकइन्फो में अपने कॉलम में लिखा, ‘‘यह दो क्रिकेट कप्तानों की कहानी है। एक अपने काम में बहुत अच्छा तो दूसरा असफल रहा।’’ चैपल ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोहली कप्तान के रूप में एक अपवाद थे। उन्होंने अपने उत्साह पर अंकुश नहीं लगाया, लेकिन फिर भी वह भारतीय टीम को उच्च स्तर तक ले जाने में सक्षम थे। उप कप्तान अजिंक्य रहाणे के रूप में अच्छे सहयोगी की मदद से उन्होंने भारत को विदेशों में सफलता दिलायी और ऐसा किसी अन्य कप्तान ने नहीं किया।’’
रूट कप्तानी में रहे असफल।
रूट के मामले में वह वैसे ही निष्ठुर थे जैसे कि इंग्लैंड के क्रिकेटर का आकलन करने में कोई आस्ट्रेलियाई हो सकता है। चैपल ने रूट का आकलन करते हुए लिखा, ‘‘किसी भी अन्य कप्तान की तुलना में सर्वाधिक मैचों में अपने देश की अगुवाई करने के बावजूद कप्तानी में असफलता का नाम जो रूट है। यह मायने नहीं रखता कि रूट या इंग्लैंड का अन्य कोई धुर प्रशंसक आपसे क्या कहता है। रूट अच्छा बल्लेबाज है लेकिन कमजोर कप्तान है।’’
कोहली ने गांगुली और धोनी के विरासत को आगे बढ़ाया।
चैपल ने कहा कि कोहली ने किस तरह से भारत के दो सफल कप्तानों सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी की विरासत को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘‘कोहली को सौरव गांगुली और धोनी से जो विरासत मिली थी उसे उन्होंने सात वर्षों में काफी हद तक आगे बढ़ाया। कप्तान के रूप में उनकी सबसे बड़ी निराशा दक्षिण अफ्रीका से हाल में मिली हार रही जिसमें भारत 1-0 से आगे था, हालांकि उन्होंने केपटाउन में दूसरे टेस्ट में कप्तानी नहीं की थी।’’
चैपल ने टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के कोहली के जुनून का जिक्र किया।उन्होंने कहा, ‘‘कोहली की सबसे बड़ी उपलब्धि अपनी टीम में टेस्ट क्रिकेट प्रति ललक पैदा करना था। अपनी व्यापक सफलता के बावजूद कोहली का प्रमुख लक्ष्य टेस्ट क्रिकेट में जीत हासिल करना था और यहीं से उनका जुनून वास्तव में चमक उठा।’’